ये नेता नाकाम हो गया , इसको बाहर जाने दो ;
परम – साहसी , धर्मनिष्ठ को , यूपी- आसाम से आने दो ।
अब कायरता का काम नहीं है, धर्मयुद्ध हर जगह चल रहा ;
कायर – नेता की कायरता , बेगुनाह हिंदू ही मर रहा ।
धर्म – शत्रु ये खुद बन बैठा , इसके अंदर कितना भय है ?
डरा हुआ क्या कभी भी जीता ? जीता वही जो निर्भय है ।
राष्ट्र टूटते देख रहा है , क्या इसमें मिलीभगत इसकी ?
जम्मू-कश्मीर भी तोड़ रहा है , बंगाल में दीदी है इसकी ।
अंग्रेज – मुगल जो कर न पाये , उसको ये करवा देगा ;
हर मंदिर पर कब्जा करके , उसको ये लुटवा देगा ।
हिंदू – आस्था के केंद्र हैं जितने , भ्रष्ट उन्हें करता जाता ;
शिव – परिवार के तोड़ के मंदिर , गलियारा बनता जाता ।
तीन – लोक से काशी न्यारी , ये नगरी पहचान हमारी ;
इसकी दिव्यता नष्ट कर रहा , बना रहा इसको बेचारी ।
अब भी हिंदू चुप बैठा तो , वो भी पाप का भागी होगा ;
हजार – साल में पतन हुआ है , उससे सहस्त्र गुना होगा ।
ऐसे नेता बने रहे तो , गजवायेहिंद हो सकता है ;
इससे हिंदू पल्ला झाड़े , वरना कुछ भी हो सकता है ।
दो साल झेलना मुश्किल है , इसको अभी हटाना है ;
जीवन – मृत्यु सामने तेरे , इसमें एक को चुनना है ।
हिंदू को जीवित रहना है , योगी को ही लाना है ;
कायर – कमजोर व जिम्मी नेता , तत्क्षण इसे हटाना है ।
अभी नहीं तो कभी नहीं , ये करो मरो की स्थिति है ;
सारे – हिंदू आवाज उठायें , ऐसी आपात स्थिति है ।
सारे मिलकर करो गर्जना , दुश्मन के दिल दहलाना है ;
कायर- कमजोर को छुट्टी देकर , परम – साहसी लाना है ।
परम- साहसी , धर्मनिष्ठ , यूपी से योगी लाना है ;
गुंडागर्दी दूर हटा कर , कानून का शासन लाना है ।
अल्पसंख्यकवाद मिटा कर सारा , तुष्टीकरण हटाना है ;
धर्म का शासन सबसे उत्तम , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”