पुस्तक का नाम: स्वास्थ्य और समृद्धि का आधार: गोविज्ञान;अभूतपूर्व ज्ञान संग्रह (भाग -1)
लेखक: वैद्यराज राजेश कपूर
प्रकाशक: गवाक्ष प्रकाशन सोलन हिमाचल प्रदेश
मूल्य: 121 रूपए
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हमारे ऋषियों मुनियों ने शास्त्रों में ‘गावो विश्वस्य मातरः’ का उदघोष किया गया है। इसके पीछे अनेक कारण थे। बड़े बड़े यज्ञों में बड़ी संख्या में गौवंश दान में दिया जाता था। यहाँ तक की उपहार में गौवंश दिया जाता था। कामधेनु गाय को ही कहा गया।लेकिन आज इस कामधेनु अथवा गाय की क्या स्थिति है? स्थिति कहें या दुर्दशा? इस दुर्दशा का वर्णन करना स्वयं पर प्रश्न चिन्ह लगाने जैसा है। भारत के संविधान में भी गोरक्षा की बातें की गई हैं। लेकिन धरातल पर काम शून्य ही है। गाय की महिमा और गोरक्षा पर बहुत लिखा जा सकता है। और ये भी उतना ही सच है कि लोग उसे पढने के बाद व्यवहार में नही लायेंगे। दुसरे, यह भी उतना ही सच है कि आजकल लोग हर चीज को विज्ञान के आधार पर नापते हैं। हर चीज या बात का वैज्ञानिक आधार ढूंढते हैं। यह होना भी चाहिए ।
यदि मैं अभी वेदों में गाय की महिमा के बारे में लिखूं तो बहुत कम लोग उस पर भरोसा करेंगे, कारण है वेद किसी ने पढ़े नही और दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारण है हमारी आस्था का केंद्र पश्चिमी जगत बना हुआ है। इसलिए भरोसा हो ही नही सकता। पर ये भी उतना ही सत्य है कि आज गौउत्पादों पर पेटेंट हैं, 500-700 रूपए में गाय के गोबर की एंटी रेडियेशन मोबाइल फ़ोन चिप बिकती है। पंचगव्य और गौमूत्र के चमत्कार आज सार्वजनिक हैं।
गोसेवा और गोविज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वैद्यराज राजेश कपूर का नाम आपको बड़ी आसानी से गूगल सर्च करने से मिल जाएगा, उनको किसी परिचय की आवश्यकता नही। इन्ही वैद्यराज राजेश कपूर की एक पुस्तक ‘आधुनिक जीवन शैली के रोग: कारण और निवारण अनेकों लोगों के घरों से बहुत सा घातक सामान बाहर फिकवा चुकी है। इस लेख में इनकी ही नवीन पुस्तक ‘स्वास्थ्य और समृद्धि का आधार: गोविज्ञान;अभूतपूर्व ज्ञान संग्रह (भाग -1)‘ की समीक्षा लिखी जा रही है।
केवल मात्र 80 पृष्ठों की यह पुस्तक गाय सम्बन्धी जानकारी और गोविज्ञान आधारित उपचारों के वर्णन से पाठक को अंदर तक झकझोर देगी । गोसेवा और गोपालन अथवा गोदुग्ध का व्यवसाय करने वालों के लिए यह पुस्तक अनुपम और आधुनिक ज्ञान का खजाना है क्योंकि गोवंश से जुडी रोज की समस्याओं तथा उनका सरल घरेलू सामाधान इस पुस्तक की विशेषता है। इसका प्रमाण पाठक को आई.सी. ए. आर.-एन. बी. ए. जी. आर. करनाल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट के शुभकामना संदेश में मिलेगा जिसमें वे लिखते हैं,”ऐसी सारगर्भित पुस्तक मेरी दृष्टि में कभी नही आई”
मानव स्वास्थ्य के लिए पंचगव्य को उपयोग में कैसे लायें, लोग अपने घरों पर ही इसका लाभ कैसे ले सकते हैं? आधुनिक जीवन शैली के कारण गडबड स्वास्थ्य सम्बन्धी अनुपम जानकारी प्रयोग तथा प्रमाण सहित इस पुस्तक में हैं। यह पुस्तक आपको बताती है कि देशी गाय के गीले या सूखे गोबर पैर रखकर बैठने से कुछ ही देर में निम्न या उच्च रक्तचाप सामान्य होने लगता है। यह बात लोगों को अजीब लगेगी, लेकिन मुझे लगता है लोग इस प्रयोग को जरुर करना चाहेंगे।
यह पुस्तक भारत के लोगों के सामने विशेषकर भारतीय पशु वैज्ञानिकों के सामने कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े करती है:
1 . विदेशों में भारतीय गोवंश भरपूर दूध देता है तो हम भारत में ऐसा क्यों नही कर पा रहे हैं?
2. हमारे वैज्ञानिक विदेशी गोवंश के विषैले होने की बात क्यों नही जानते? वे विदेशी हानिकारक गोवंश क्यों ला रहे हैं ?
3. पश्चिम के जिन देशों की बताई खोजों को सही मानकर हमारे वैज्ञानिक चल रहे हैं, उन देशों से हमने कभी ये क्यों न पूछा कि वे अपने ‘ए1’ गोवंश को बदलकर ‘ए2’ क्यों बना रहे हैं?
4. जिस ‘ए1’ गोवंश की बहुत प्रसंशा करके वे हमें बेच रहे हैं, उसे वे अपने देशों में बढ़ावा क्यों न दे रहे हैं ?
5. यदि दोनों प्रकार की गउओं तथा उनके दूध में कोई अंतर नही है तो फिर पश्चिम के बाजारों में ‘ए2’ दूध महंगा क्यों बिक रहा है?
ऐसा प्रतीत होता है इस छोटी सी पुस्तक में लेखक वैद्यराज राजेश कपूर ने अपने जीवन का अनुभव प्रमाण सहित सरल शब्दों में प्रस्तुत कर दिया है। यह पुस्तक पाठक को मानव चिकित्सा में गोआधारित पंचगव्य के प्रयोग, गौमूत्र के घरेलू उपयोग तथा पंचगव्य उत्पाद जैसे धूप, गौमूत्र अर्क, घनवटी, गोनायल (फिनायल), दंत मंजन, केश तेल, दर्द निवारक तेल, पंचगव्य साबुन, शैम्पू, हैण्डवाश, डिशवाश आदि घरेलू उपयोग की चीजें घर में बनाना सिखाएगी। हर प्रकार की सामग्री और बनाने की सम्पूर्ण विधि बड़े ही सरल शब्दों में इस पुस्तक में लिखी गई है।
गोपालकों के लिए स्वदेशी गोवंश के अनेक प्रकार के रोगों की चिकित्सा विधियां, दूध बढाने के उपाय, विषमुक्त खेती के सरल प्रयोग और उपाय जैसे पंचगव्य खाद, बीज, जड उपचार, फसल पर छिडकाव और बीज भंडारण आदि में पंचगव्य का प्रयोग कैसे किया जाए आदि विस्तार से समझाया गया है। पुस्तक के पृष्ठ 68 पर लिखा लेख “अद्भुत हैं एन्जाइम” पाठक को वास्तव में अद्भुत लगेगा और मेरा मत है कि वह तुरंत ही पुस्तक में विधि पढ़कर एन्जाइम बनाने लग जाएगा।
संक्षेप में कहूँ तो यह पुस्तक लोगों की जीवन शैली में बड़ा परिवर्तन ला सकती है। गोवंश और गोपालकों का जीवन स्तर और बेहतर करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। गाँव और शहरों के लोगों को इसे अवश्य मंगवाकर पढना चाहिए, क्योंकि यह केवल लेखन मात्र नही किसी के जीवन का अमूल्य अनुभव और शोध कार्य है।