हॅंसकर देशद्रोह करता है
ये आपदा में अवसर ढूॅंढे , इसीलिये आपदा बढ़वाता ;
आधे-अधूरे जो इंजेक्शन , कोरोना में उनको लगवाता ।
निर्माता से पैसा खाकर , इंजेक्शन को मंजूरी देता ;
लाचार – निरीह जो भारतवासी , असमय मृत्यु उन्हें देता ।
दुनिया में मिसाल ये पहली , जो इतना नीचे गिरता है ;
शर्म की सारी सीमा तोड़ी , हॅंसकर देशद्रोह करता है ।
चीन – बांग्लादेश के हाथों , इसने कितनी भूमि गंवाई ?
कश्मीर-मणिपुर आदि जगह में , कितने हिंदू ने जान गंवाई ?
हिंदू की लाशों का सौदागर , मौत का ये व्यापारी है ;
अब्बासी – हिंदू नेता को ढोना , हिंदू की क्या लाचारी है ?
क्यों तुम इसको हिंदू मानो ? इसका मजहब तुम क्या जानो ?
इसका सब-कुछ प्रोपेगेण्डा , पता नहीं क्यों सच मानो ?
क्या अक्ल तुम्हारी घास खा गयी,क्यों झूठी खबरों में फंसते ?
प्रेस, मीडिया, टीवी झूठा , अरबों-खरबों के विज्ञापन मिलते ।
सोशल-मीडिया के कुछ चैनल और कुछ अंग्रेजी-अखबार ;
काफी हद तक सत्य बोलते , इन पर करना है ऐतबार ।
हिंदू ! सत्य-मार्ग पर चलना , जो धर्म-सनातन का मार्ग है ;
तब ही तुमको लक्ष्य मिलेगा , ये ही केवल सन्मार्ग है ।
अब्बासी-हिंदू की असली-ताकत , ईवीएम में बसती है ;
अबकी मरोड़ो इसकी गर्दन , जनता ये कर सकती है ।
सारी जनता निकले सड़कों पर, मिलकर ये आवाज उठाओ ;
समुद्र में ईवीएम को फेंको , फिर से मतपत्रों को लाओ ।
जब तक निष्पक्ष-चुनाव न होगा,अच्छी-सरकार बनेगी कैसे ?
सुप्रीम-कोर्ट में जनता पहुॅंचे , तब फिर बात बनेगी ऐसे ।
लोकतंत्र का रक्षक है ये , भारत का सुप्रीम-कोर्ट ;
तीनों खम्भों में लगी है दीमक , पर बचा हुआ सुप्रीम-कोर्ट ।
भारत की अंतिम-आशा है , जनता की ये अभिलाषा है ;
निष्पक्ष-चुनाव हों हर-हालत में , लोकतंत्र की परिभाषा है ।
इसमें सबसे बड़ी रुकावट , अब्बासी-हिंदू भारत का नेता ;
महाकुटिल , मक्कार , धूर्त है , घड़ियाली आंसू है रोता ।
इसने जितने पाप किये हैं , कोई न अब तक कर पाया ;
अब इसको करना प्रायश्चित , इससे कोई न बच पाया ।
मंदिर-तोड़े , धर्म-मरोड़ा , शास्त्र-विरुद्ध की प्राण-प्रतिष्ठा ;
इसने अपमानित किया राम को , इसीलिये खायेगा विष्ठा ।