यदि जनरल रावत जीवित होते,भारत के भाग्य विधाता होते ;
सेना भी कमजोर न होती , अग्निवीर तब कहीं न होते ।
अब्बासी-हिंदू की दाल न गलती , देशभक्त जनता न रोती ;
देश के धन की लूट न होती , राजनीति गंदी न होती ।
प्रेस-मीडिया कभी न बिकता , टीवी झूठी खबर न देता ;
सारे चुनाव निष्पक्ष ही होते , ईवीएम कूड़े में होता ।
चुनाव आयुक्त तब कैसे होते ? टी•एन• शेषन जैसे होते ;
सत्ता के गुलाम न होते , चुनाव संहिता आदर्श चलाते ।
लोकतंत्र को क्षति न होती , संविधान सर्वोच्च ही रहता ;
कानून से सारा शासन होता , हमको पूर्ण-सुशासन मिलता ।
पर हाय रे देश की किस्मत खोटी , कामयाब दुश्मन की चाल ;
असमय हमने हीरा खोया , अब्बासी-हिंदू का मायाजाल ।
जनरल रावत की मौत का बदला , हमको आज चुकाना है ;
जो भी जिम्मेदार है इसका , उसको नहीं छोड़ता है ।
अब्बासी-हिंदू देश का दुश्मन , तिल-तिल करके मार रहा ;
सुप्रीम-कोर्ट ही अंतिम-आशा , अपने निर्णय से बचा रहा ।
सारे देशभक्त अधिवक्ता , तुम भी भारतवर्ष बचाओ ;
सहयोग करो सुप्रीम-कोर्ट का,न्याय के रक्षक तुम बन जाओ ।
सारे अपने स्वार्थ को छोड़ें , देश बहुत ही संकट में ;
देश बचा तो तुम भी बचोगे , वरना कूड़ा-करकट में ।
देवासुर-संग्राम चल रहा , अब्बासी-हिंदू असुरों के साथ ;
देव अभी तक हैं गफलत में , अब्बासी-हिंदू का देते साथ ।
तेरा बनकर तुझे मारता , महाकुटिल अब्बासी-हिंदू ;
तोड़ रहा पौराणिक – मंदिर , रत्ती भर ये नहीं है हिंदू ।
हिंदू होने का ढोंग ये करता , साधु के वेश में ये शैतान ;
हरण कर रहा धर्म की सीता , हिंदू ! इसको अब तो जान ।
ठीक से इसको अगर न जाना , चौपट होगी भारत की शान ;
लोकतंत्र का ये है दुश्मन , ईवीएम में इसकी जान ।
भारतवर्ष बचाना होगा , ईवीएम हटाना होगा ;
एकमात्र बस यही मार्ग है , सुप्रीम-कोर्ट में जाना होगा ।
जनरल रावत के कृतज्ञ हों हम सब, सेना को सुदृढ़ बनाना है ;
अब्बासी-हिंदू भारत का दुश्मन , इससे देश बचाना है ।
देश बचाने की जिम्मेदारी , सेना की तरह हमारी है ;
सबको सड़कों पर आना होगा , करना इसकी तैयारी है ।
देश रहेगा हम भी रहेंगे , इसी से सबकी हस्ती है ;
वरना अब्बासी-हिंदू के कारण , सबकी जान बहुत सस्ती है ।