राजनीति बदल गई, राजनीतिक टूल्स बदल गए!
कमलेश कमल । इस चुनाव को राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग तरह से परिभाषित करेंगे; परंतु सामान्य बुद्धिलब्धि (कॉमन-सेंस) से भी इतना तो समझा जा सकता है कि विगत एक दशक में राजनीति बदल गई है;...
कमलेश कमल । इस चुनाव को राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग तरह से परिभाषित करेंगे; परंतु सामान्य बुद्धिलब्धि (कॉमन-सेंस) से भी इतना तो समझा जा सकता है कि विगत एक दशक में राजनीति बदल गई है;...
कमलेश कमल। क्या आपने कभी गौर किया है कि अंग्रेजी में आप अपनी height बताते हैं, length नहीं ; जबकि हिंदी में अपनी लंबाई लिखते हैं। दैनिक जीवन में कुछ ऐसा ही हम सुनते...
[दुःख निरोध की तीसरी सीढ़ी : बुद्ध/ व्याख्या ] “सत्य आमतौर पर सुनाई नहीं, दिखाई देता है।”-बालतेसर ग्रेशियन कमलेश कमल। यह एक कारग़र जीवन सूत्र है, जिसका निहितार्थ है कि हमें अपने परिचितों, सगे-संबंधियों,...
कमलेश कमल। दुःख निरोध की पहली सीढ़ी है- दुःख के यथार्थ कारणों को भलीभाँति देखना। यह देखना अलग हटकर, अविच्छिन्न या असंपृक्त होकर देखना है, विशुद्ध द्रष्टा भाव से देखना है, जिसे बुद्ध ने...
कमलेश कमल। अफ़गानिस्तान के आंतरिक मामले में चौधरी बनने की कोशिश कतई न करें। अमेरिका ने क्या हासिल कर लिया कि आप कर लेंगे? यक़ीनन अफ़गानिस्तान सदा से एक महँगा सौदा रहा है। वे...
कमलेश कमल। “वासना-विकारहीनता के बिना प्रकाश-प्राप्ति संभव ही नहीं है।”- बुद्ध वासना और इससे मिलने वाले दुःखों की चर्चा जनमानस में परिव्याप्त है, पर इनकी उत्पत्ति, प्रकृति और अंतर्संबंध पर अंतर्दृष्टि का सर्वथा अभाव...
कमलेश कमल। उत्तरप्रदेश एटीएस जिस मोड में है, उसकी आवश्यकता है। किसी भी तरह के अपराध का कोई संरक्षण करे या किसी तरह का तुष्टीकरण करे, यह सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं है।...
कमलेश कमल। क्या आपने यह ग़ौर किया है कि अत्यधिक सफल व्यक्ति निर्विवाद रूप से अत्यधिक ऊर्जावान् होते हैं और सौम्य होते हैं? ऊर्जावान् हों, पर शांत-प्रशांत न हों, तो बात बनती नहीं है,...
कमलेश कमल। हिंदू धर्म सत्य और ऋत का सहज-शाश्वत और सुमिलित गठबंधन है, जो स्वभाव से ही वर्तमानजीवी और कल्याणधर्मी है। ऋत और सत्य का यह गठबंधन दर्शन की रज्जू से होता है, जिसका...
मेरे द्वारा विरचित ‘विरह-शतक’ से कुछ काव्य-कुसुम : कमलेश कमल सौम्य मुखमुद्रा, रूप-कौमुदीअभंग, अकथ शोभा-विस्तारपारिजातगुच्छ की श्री धारणामन-घुँघरुओं की नित झंकार (81) पुष्पभार से नमित वृन्त सीप्रगल्भ-रूपसी सुकोमल बालास्वर्णगात्र की मादक गंध औमधुर कौमार्य...
कमलेश कमल। लघुकथा अपनी प्रवृत्ति में मुख्यतः क्षण-केंद्रित होती है। किसी संवेदनात्मक क्षण को कितनी संकेन्द्रण शक्ति से कोई लघुकथा अभिव्यंजित करती है– यही उसकी सफलता का निकष होता है। लाघव्य मात्र होने से...
कमलेश कमल। अच्छा होना एक अस्पष्ट अवधारणा है, जबकि बेहतर बनना सुस्पष्ट है और परिणामकेन्द्रित है। अच्छा और बुरा वैसे भी सापेक्षिक शब्द हैं। इसलिए, होना यह चाहिए कि हमारा ध्येय हो कि हम...
कमलेश कमल। प्लाज्मा की बात करें, तो यह सच नहीं है कि मेरी टीम अधिक लोगों की मदद कर पा रही है। सच्चाई यह है कि प्रतिदिन अगर 500 लोग हमसे प्लाज्मा माँगते हैं,...
कमलेश कमल। भेड़ चाल और मूर्खता में हमारा कोई मुकाबला नहीं। 20 से अधिक देशों में व्यापक ट्रायल के बाद WHO ने कहा कि रेमिडिसीवीर न मौत रोकता है, न critical कंडीशन में जाने...
कमलेश कमल|जब जिंदगी और मौत के बीच चंद साँसों और कुछ पलों का फ़ासला हो; तो फालतू की सूचना नहीं देते। कम सूचना दें, लेकिन एकदम सही (verified) दें। स्वयं फोन नम्बर आदि चेक...
कमलेश कमल. आज संपूर्ण मानवजाति एक अदृश्य हमले से बेहाल-खस्ताहाल है। विधि की विडंबना ऐसी कि बड़े-बड़े विनाशक आयुध धरे रह गए और लगभग 10 ग्राम विषाणुओं ने पूरी धरित्री पर विनाश का वीभत्स...
कमलेश कमल अब तक सिंह की सवारी करने वाली माता अब क्यों है गर्दभ पर सवार? ‘काल’ समय को कहते हैं और मृत्यु को भी। सनातन कहता है कि काल(समय) ही काल(मृत्यु) है। यह...
कमलेश कमल. पराम्बा शक्ति पार्वती के नौ रूपों में छठा रूप कात्यायनी का है। अमरकोष के अनुसार यह पार्वती का दूसरा नाम है। ऐसे, यजुर्वेद में प्रथम बार ‘कात्यायनी’ नाम का उल्लेख मिलता है।...
कमलेश कमल. माँ शेर पर सवार हैं– क्या इसका कोई प्रयोजन है? क्या ‘शिव-कंठ’ के ‘नीले’ होने का इस साधना से भी कोई संबंध है? या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो...
कमलेश कमल. माता को शक्ति कहते हैं। शक्ति (power) कार्य करने की क्षमता(ability) का नाम है:- (power=work/time)। भौतिकी का नियम है कि ऊर्जा(energy) जितनी अधिक होगी, कार्य उतना अधिक संपन्न होगा। संक्षेप में शक्ति(दुर्गा)...