बॉलीवुड माफिया नहीं चाहती की दर्शक अनवांटेड को देखे।
बहुत कम फिल्में हैं जो सोचने पर मजबूर कर देती है और ये फिल्में जुझारू निर्माताओं की तरफ से आती हैं जिसे बॉलीवुड या यूँ कहे कि व्यावसाइक सिनेमा कई कारणों से नज़रअंदाज कर...
बहुत कम फिल्में हैं जो सोचने पर मजबूर कर देती है और ये फिल्में जुझारू निर्माताओं की तरफ से आती हैं जिसे बॉलीवुड या यूँ कहे कि व्यावसाइक सिनेमा कई कारणों से नज़रअंदाज कर...
अपनी फिल्मों को बेचने के लिए भगवान नामक शब्द का प्रयोग करने से भी इन्हे नहीं रोका जा सकता।
ईसाइयत की फिल्मों में इतना साफ़-सुथरापन है और भारत में वे ‘कृष्णा एंड हिज लीला’ दिखाते हैं।
ये बहुत स्ट्रांग विलेन है जो अंतिम समय तक चुनौती बना रहता है।
एक ओटीटी प्लेटफॉर्म ने राधे श्याम को 400 करोड़ का बड़ा ऑफर दिया है।
युवा दर्शकों को ये फिल्म अवश्य देखनी चाहिए
बंगाली,मराठी, तमिल, तेलगु भाषा की फिल्मों ने ओटीटी पर बेहतर प्रदर्शन किया है
इस वर्ष बॉलीवुड को लगभग 9000 करोड़ की चपत लगने की आशंका है।
सरकार ने तो पहले ही सेल्फ रेगुलेशन की बचकानी नियमावली देकर अपने हाथ बाँध लिए हैं।
सुपर स्टार कहता था कि फिल्म समीक्षाओं से उसकी फिल्म को कुछ फर्क नहीं पड़ता।
इस सप्ताहांत में क्विक गन मुरुगन देखकर कुछ तनाव कम कर सकते हैं।
देश महामारी की दूसरी भयंकर लहर से युद्धरत है तो ऐसी परिस्थिति में रामकथा का आना शुभता लेकर आएगा।
प्रबुद्ध नागरिकों के मन में यही प्रश्न उठ रहा है कि आखिर ये सब कैसे रुकेगा?
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को फटकार लगा चुका है।
केंद्र सरकार के इस मंत्री ने ट्वीटर पर सैकड़ों लोगों के जवाब तक देना उचित नहीं समझा है।
नए अनुबंध न होने के कारण फिल्म स्टार विदेश जाकर सस्ते में शो करने के लिए भी तैयार हैं।
सूचना व प्रसारण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को न्यायालय की टिप्पणी ने लू लगा दी है।
तीन एजेंसिया आठ माह से मुंबई में बैठी हैं लेकिन सफलता के नाम पर उनके पास एक भी महत्वपूर्ण लीड नहीं है।
एक ग्रामीण बालक की कथा है, जो ‘हॉफ बेक्ड’ रह गया है। इस प्रतिभाशाली अनपढ़ की यात्रा एक निर्मम हत्या पर समाप्त होती है।